Sunday 7 August 2011

दूर होकर तुझसे भी दूर हूँ कहाँ ?

दूर होकर तुझसे भी दूर हूँ कहाँ ?
तेरी यादों के दिए की लौ है जवां |

जहाँ कहीं प्रीत की छबी है दिख जाती
प्यार के रंगों में तेरी तस्वीर उभर आती
छबी में भी तू
तस्वीर में भी
तू मेरे पास है यहाँ

जब कभी मुस्कुराता हुआ बचपन है दिख जाता
उस बचपन में तेरा चहेरा है नज़र आता
मुस्कुराती हुई तू
खिलखिलाती हुई
तू मेरे पास है यहाँ

जब कभी पायल की मधुर जंकार है आती
सुने मन में मेरे हसीं महेफिल है सज जाती
जान है तू
और शान भी
तुझसे है महेफिल जवां