Thursday 8 October 2009

तेरी तस्वीर

























तू पास नहीं तो तेरी तस्वीर से गुज़ारा कर लेते हैं |
जुदाई को भी हम इम्तिहान समज कर सहे लेते हैं ||

तन्हाई के अंधेरों में तेरी याद का सहारा ले लेते हैं |
बाकि तो हम "हम" खोकर "तुम" बन कर जी लेते हैं ||

Saturday 11 July 2009

तेरे इन्तेज़ार में

तेरे इन्तेज़ार ने क्यूँ मुझको इतना तडपाया
तेरे दिल को भी जाने कैसे सुकून आया !
तेरी यादों से अपने दिल को मैंने बहेलाया
तेरे दिल को भी जाने कैसे सुकून आया !

Monday 20 April 2009

ये ग़ज़ल...

उनसे ये न कहे पाउँगा में कभी
इसलिए लिख रहा हूँ ये ग़ज़ल
उम्मीद है के वो पढेंगे ये कभी
इसलिए लिख रहा हूँ ये ग़ज़ल

- जांबाज़ ( २० अप्रैल २००९ - अमरीका )