Thursday 8 October 2009

तेरी तस्वीर

























तू पास नहीं तो तेरी तस्वीर से गुज़ारा कर लेते हैं |
जुदाई को भी हम इम्तिहान समज कर सहे लेते हैं ||

तन्हाई के अंधेरों में तेरी याद का सहारा ले लेते हैं |
बाकि तो हम "हम" खोकर "तुम" बन कर जी लेते हैं ||

1 comment:

Nishant said...

kya baat hai... dil ke gehraai se aawaz aise uchhal ke aa rahi hai ki mano saagar ke moujo ki ravani ho...